ग्रन्थ साहिब स्वप्न का अर्थ
ग्रन्थ साहिब स्वप्न एक प्रसिद्ध हिंदी कहानी है जो आमतौर पर बच्चों के लिए लिखी गई है। यह कहानी एक माँ के प्रेम और संकल्प को दर्शाती है, जो अपने बच्चे के सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करती है।
कहानी का प्रसंग
कहानी में, माँ का नाम सुमति है, जो अपने पति से प्रेम करती है, परन्तु उसका पति मुसीबत में होता है और मारने से पहले, वह सुमति से अपनी 8-साल की बेटी, मनसा, को संभालने की विनती करता है। सुमति अपने पति को खोने के दुख में डूबी हुई होती है, परन्तु उसका प्रेम और संकल्प उसे मजबूत बनाता है।
माँ का संकल्प
सुमति को पता होता है कि मनसा को उसके पिता की सहायता की आवश्यकता होगी, परन्तु उसके पास कम समय होता है। इसलिए, वह मनसा को सपने दिखाने के लिए प्रेरित करती है, जिसमें मनसा को अपने पिता से मिलने की इच्छा पूरी होती है। सुमति मानती है कि सपने सच हो सकते हैं, और वह मनसा को सपने में पिता से मिलने का वादा करती है।
सपने का पूरा होना
मनसा को सपने में अपने पिता से मिलने का सुख मिलता है, परन्तु उसकी खुशी छोटी होती है, क्योंकि वह जानती है कि यह सपना सच नहीं है। परन्तु, उसकी माँ के संकल्प और प्रेम के कारण, सपने का पूरा होना संभव होता है। माँ-बेटी को एक-दूसरे से मिलाने के बाद, माँ को पता चलता है कि उसका पति भी जिंदा है, और वह समझती है कि सपने सच हो सकते हैं।
समाप्ति
ग्रन्थ साहिब स्वप्न कहानी एक प्रेरणादायक कहानी है जो हमें बताती है कि सपने सच हो सकते हैं, अगर हमारा प्रेम और संकल्प मजबूत हो। यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि माँ का प्रेम और संकल्प असीम होता है, और वह अपने बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करती है।