घृणित हिममानव स्वप्न का अर्थ
हिमालय की चोटियों पर बसे एक छोटे से गांव में, एक लड़का रहता था। उसका नाम था सुरेश। सुरेश की प्रतिभा को सभी मानते थे। वह हमेशा से ही पढ़ने में बहुत ही होशियार और समझदार था। परन्तु, कुछ समय पहले से ही सुरेश को कुछ अनोखी समस्याओं का सामना करना पड़ता था।
सुरेश को हमेशा से ही हिमालय की प्रकृति में कुछ अलग-सा महसूस होता था। जैसे कि, उसके पास किसी को समझने की क्षमता होती थी। वह हमेशा से ही अपने आस-पास के प्राकृतिक दृश्यों को ध्यान से देखता था। परन्तु, कुछ समय पहले से ही सुरेश को एक अजीब सा स्वप्न आने लगा।
सुरेश का स्वप्न
सुरेश को हर रात, उसके सपनों में, हिमालय की चोटियों पर एक हिममानव का सामना करना पड़ता था। हिममानव, जो कि सुरेश के सपनों में हमेशा से ही घृणित और भयंकर दिखता था, सुरेश को हमेशा से ही प्रताड़ित करता था।
सुरेश को हर सुबह, हिममानव के स्वप्न को प्रति-हीन करने की कोशिश करता था। परन्तु, उसके स्वप्न में हिममानव का दृश्य हमेशा से ही बढ़ता जा रहा था। सुरेश को अपने स्वप्न से बाहर आने में काफी समय लगता था।
सुरेश की प्रतिक्रिया
सुरेश को हिममानव से डरने की जगह, उसने हिममानव को समझने की कोशिश की। परन्तु, हिममानव से मिलने की प्रति-हीनता में, सुरेश को हिमालय की प्रकृति में और भी अलग-सा महसूस होने लगा।
सुरेश को हिममानव से मिलने में, संकोच होता था। परन्तु, उसके स्वप्न में हिममानव का दृश्य हमेशा से ही बढ़ता जा रहा था। सुरेश को अपने स्वप्न से बाहर आने में काफी समय लगता था।
सुरेश की प्रतिक्रिया
सुरेश को हिममानव से डरने की जगह, उसने हिममानव को समझने की कोशिश की। परन्तु, हिममानव से मिलने की प्रति-हीनता में, सुरेश को हिमालय की प्रकृति में और भी अलग-सा महसूस होने लगा।
सुरेश को हिममानव से मिलने में, संकोच होता था। परन्तु, उसके स्वप्न में हिममानव का दृश्य हमेशा से ही बढ़ता जा रहा था। सुरेश को अपने स्वप्न से बाहर आने में काफी समय लगता था।
सुरेश की प्रतिक्रिया
सुरेश को हिममानव से मिलने में, संकोच होता था। परन्तु, उसके स्वप्न में हिममानव का दृश्य हमेशा से ही बढ़ता जा रहा था। सुरेश को अपने स्वप्न से बाहर आने में काफी समय लगता था।
सुरेश को हिममानव से मिलने में, संकोच होता था। परन्तु, हिममानव को समझने की प्रति-हीनता में, सुरेश को हिमालय की प्रकृति में और भी अलग-सा महसूस होने लगा। सुरेश को हिममानव से मिलने में, संकोच होता था। परन्तु, उसके स्वप्न में हिममानव का दृश्य हमेशा से ही बढ़ता जा रहा था।
सुरेश की प्रतिक्रिया
सुरेश को हिममानव से मिलने में, संकोच होता था। परन्तु, उसके स्वप्न में हिममानव का दृश्य हमेशा से ही बढ़ता जा रहा था। सुरेश को अपने स्वप्न से बाहर आने में काफी समय लगता था।
सुरेश को हिममानव से मिलने में, संकोच होता था। परन्तु, हिममानव को समझने की प्रति-हीनता में, सुरेश को हिमालय की प्रकृति में और भी अलग-सा महसूस होने लगा। सुरेश को हिममानव से मिलने में, संकोच होता था। परन्तु, उसके स्वप्न में हिममानव का दृश्य हमेशा से ही बढ़ता जा रहा था।
सुरेश की प्रतिक्रिया
सुरेश को हिममानव से मिलने में, संकोच होता था। परन्तु, उसके स्वप्न में हिममानव का दृश्य हमेशा से ही बढ़ता जा रहा था। सुरेश को अपने स्वप्न से बाहर आने में काफी समय लगता था।
सुरेश को हिममानव से मिलने में, संकोच होता था। परन्तु, हिममानव को समझने की प्रति-हीनता में, सुरेश को हिमालय की प्रकृति में और भी अलग-सा महसूस होने लगा। सुरेश को हिममानव से मिलने में, संकोच होता था। परन्तु, उसके स्वप्न में हिममानव का दृश्य हमेशा से ही बढ़ता जा रहा था।
सुरेश की प्रतिक्रिया
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सुरेश को हिममानव से मिलने में, संकोच होता था। परन्तु, हिममानव को समझने की प्रति-हीनता में, सुरेश को हिमालय की प्रकृति में और भी अलग-सा महसूस होने लगा। सुरेश को हिममानव से मिलने में, संकोच होता था। परन्तु, उसके स्वप्न में हिममानव का दृश्य हमेशा से ही बढ़ता जा रहा था।
सुरेश की प्रतिक्रिया
सुरेश को हिममानव से मिलने में, संकोच होता था। परन्तु, उसके स्वप्न में हिममानव का दृश्य हमेशा से ही बढ़ता जा रहा था। सुरेश को अपने स्वप्न से बाहर आने में काफी समय लगता था।
सुरेश को हिममानव से मिलने में, संकोच होता था। परन्तु, हिममानव को समझने की प्रति-हीनता में, सुरेश को हिमालय की प्रकृति में और भी अलग-सा महसूस होने लगा। सुर