होलिका

होलिका स्वप्न का अर्थ

होलिका स्वप्न एक प्राचीन भारतीय कथा है जो होली के महत्व को दर्शाती है। इस कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप नामक एक राजा था जो संसार के सबसे बलवान और समृद्ध राजा था। हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद, उनके प्रेमी होलिका के साथ हमेशा से ही मित्रता से रहता था।

प्रह्लाद को परमेश्वर की पूजा करने में बहुत ही आनंद मिलता था, जो हिरण्यकश्यप को पूरी तरह से प्रतिकूलता महसूस होती थी। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को अनेक प्रकार की सजा दी, लेकिन प्रह्लाद का विश्वास और भक्ति कभी हिलने से नहीं मुक्त हुए।

होलिका स्वप्न की कथा

एक दिन, हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को समझाया कि परमेश्वर को पूजने से कोई फायदा नहीं होता है। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को समझाने के लिए होलिका से मदद मांगी, जो असंभव से संभव होता है। होलिका को एक आसन पर बैठने की आपत्ति हुई, जो प्रह्लाद के समीप में ही था।

हिरण्यकश्यप ने होलिका को उस आसन पर बैठने के लिए कहा, जो अग्नि से घिरा हुआ था। हिरण्यकश्यप की योजना थी कि होलिका को प्रह्लाद के साथ बैठाकर उसे जलाकर मार देंगे।

होलिका स्वप्न का परिणाम

लेकिन प्रह्लाद की प्रतिभा, भक्ति, और परमेश्वर के प्रति अनुराग से होलिका की साजिश में कोई प्रभाव नहीं हुआ। होलिका, जो समझती थी कि वह सुरक्षित है, स्वयं ही मृत्यु के मुंह में पहुंची।

प्रह्लाद, जो होलिका से सुरक्षित हुआ, परमेश्वर की कृपा से मुक्त हो गया। इस घटना के बाद से, होली का त्योहार मनाया जाता है, जिसमें होलिका की प्रतीक्षा की जाती है।

होलिका स्वप्न की कथा हमें यह सिखाती है कि परमेश्वर के प्रति भक्ति, सत्य, और संकल्प से कोई भी साजिश असफल होती है। हमें हमेशा सत्य पर चलना चाहिए, और परमेश्वर के प्रति अनुराग से जीना चाहिए।

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Scroll to Top